गोपियों ने हारिल की लकड़ी किसे कहा है : गोपियों ने कृष्ण को हरिल की लकड़ी कहा है । गोपियों ने श्रीकृष्ण को ‘हरिल की लकड़ी’ इसलिए कहा है क्योंकि जिस प्रकार हरिल पक्षी सदैव अपने पंजों में हमेशा कोई न कोई लकड़ी या तिनका पकड़े रहता है, उसी प्रकार गोपियां भी श्रीकृष्ण को अपने हृदय में दृढ़तापूर्वक धारण किया हैं और उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। गोपियाँ कृष्ण के प्रेम में लीन हैं और दिन-रात ‘कृष्ण-कृष्ण’ का जाप करती रहती हैं।
अधिक पढ़ें : गोपियों को अकेला छोड़कर कृष्ण कहां चले गए थे

हारिल पक्षी की क्या विशेषता है सूरदास पद पाठ के आधार पर बताइए ?
गोपियों ने कृष्ण को हरिल की लकड़ी कहकर अपने प्रेम की दृढ़ता का प्रकट किया है। हरील एक ऐसा पक्षी है जो अपने पंजों में हमेशा कोई न कोई लकड़ी या तिनका रखता है। वह उसे किसी भी हाल में नहीं छोड़ते।
कृष्ण को ‘हरिल की लकड़ी’ कहने वाली गोपियों का अर्थ यह है कि कृष्ण का प्रेम उनके दिलों में इतनी दृढ़तापूर्वक से बसा हुआ है कि वह किसी भी तरह से निकल नहीं सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि गोपियाँ कृष्ण को ही समर्पित हैं।
तीसरे पद के अनुसार हारिल किसे कहा गया है ?
सूरदास के तीसरे पद के अनुसार हारिल श्रीकृष्ण को कहा गया है ।
यह भी पढ़ें
- भगवान कृष्ण ने स्नान करती गोपियों के वस्त्र क्यों चुराए थे
- गोपियों को अकेला छोड़कर कृष्ण कहां चले गए थे
- महाभारत में कितने कृष्ण थे