भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई थी | Bhagwan Krishna Ki Mrityu Kaise Hui

0

भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई थी : श्री कृष्ण भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार थे । महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण एक अति बलशाली अलौकिक योद्धा थे । इस लेख में हम भगवत पुराण और महाभारत का संज्ञान लेकर जानेंगे कि भगवान कृष्ण और बलराम जी की मृत्यु कैसे हुई थी और मृत्यु उपरांत उनके शरीर का क्या हुआ ।

18 दिन चले महाभारत के युद्ध में रक्तपात के सिवाय कुछ हासिल नहीं हुआ । कौरवों के समस्त कुल का खात्मा हो गया था, पांचों पांडवों को छोड़कर पांडव कुल के भी अधिकांश लोग मारे गए । लेकिन इस युद्ध के कारण युद्ध के पश्चात एक और वंश का खात्मा हुआ और बो था श्री कृष्ण जी का यदुवंश

भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई थी

भगवान कृष्ण की मृत्यु का रहस्य

महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब युधिष्ठिर का राजतिलक हो रहा था, तब कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्री कृष्ण को दोषी ठहराते हुए श्राप दिया था कि जिस प्रकार कौरवों के वंश का नाश हुआ है, ठीक उसी प्रकार यदुवंश का विनाश होगा । इसी कारण से भगवान की मृत्यु हुआ और सम्पूर्ण यदुवंश का नाश हो गया था।

फिर श्री कृष्ण द्वारका लौट आए और यदुवंशियों के साथ प्रयास के क्षेत्र में आए। यदुवंशी अपने साथ अन्य, फल आहार सामग्री भी लाए थे । कृष्ण ने ब्राह्मणों को भोजन दान करके यदुवंशियों को मृत्यु की प्रतीक्षा करने का आदेश दिया था।

अधिक पढ़ें : भगवान श्री कृष्ण के कितने पुत्र थे

साथीकी और कृतवर्मा में विवाद

कुछ दिनों बाद महाभारत युद्ध की चर्चा करते हुए साथीकी और कृतवर्मा के बीच विवाद हो गया। साथीकी क्रोधित हो गया और उसने कृतवर्मा का सिर काट दिया। इस कारण उनके बीच आपसी युद्ध छिड़ गया और वे समूहों में विभाजित होकर आपस में लड़ने लगे।

इस युद्ध में श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न, मित्र साथीकी और अनिरुद्ध सहित सभी यदुवंशी मारे गए। केवल बबलू और दारूक ही बचे थे।

कृष्ण की मृत्यु किसके हाथों हुई ? Bhagwan Krishna Ko Kisne Mara Tha

कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम जी से मिलने के लिए निकले । उस समय जंगल के बाहरी छोर पर विराजमान थे बलराम जी ने समुद्र तट पर बैठकर एकाग्र चित्त से परमात्मा का चिंतन करते हुए, अपनी आत्मा को आत्म स्वरूप में ही स्थिर कर लिया और मनुष्य शरीर छोड़ दिया ।

श्री कृष्ण जानते थे कि आप सब समाप्त हो चुका है और फिर वह एक पीपल के पेड़ के तले जाकर चुपचाप धरती पर ही बैठ गए । श्री कृष्ण उस समय अपना चतुर्भुज रूप धारण कर रखा था और समस्त देवताओं को अंधकार रहे प्रकाशमान कर रहे थे ।

उस समय भगवान अपनी दाहिनी जांग पर अपना बायां चरण रखकर बैठे हुए थे उनका लाल-लाल तलवा रक्त कमल के समान चमक रहा था । तभी वहां से जरा नामक एक बहेलिया गुजर रहा था । उसे दूर से श्री कृष्ण का लाल लाल तलवा हिरण के मुख्य समान जान पड़ा । बहेलि ने बिना कोई विचार किए वहीं से एक तीर छोड़ दिया, जो कि श्रीकृष्ण के तलवे में जाकर लगा ।

जब वह पास आया तो उसने देखा कि यह चतुर्भुज पुरुष है । इसलिए डर के मारे कांपने लगा और श्री कृष्ण के चरणों पर सिर रखकर उसने कहा कि हे मधुसूदन अनजाने में यह पाप किया है और वह शमा याचना करने लगा ।

श्री कृष्ण ने बहेलि से कहा कि जरा तू डर मत, तूने मेरे मन का काम किया है । अब तू मेरी आज्ञा से स्वर्ग लोक को प्राप्त करेगा । भगवान श्री कृष्ण धरती पर 125 साल तक रहे थे

बहेलिए के जाने के बाद वहां श्री कृष्णा सारथी दारू पहुंच गया । उन्हें देखकर दारूक की नेत्रों से आंसू बहने लगे और भगवान के चरणों में गिर पड़ा। तब श्री कृष्ण ने दारू से कहा अब तुम द्वारका चले जाओ और वहां यदुवंश के पारस्परिक सहार भैया बलराम जी की परम गति और धाम घमंड की बात कहो ।

अधिक पढ़ें : महाभारत के समय कृष्ण और अर्जुन की आयु कितनी थी

उनसे कहना कि अब तुम लोगों को द्वारका में नहीं रहना चाहिए । क्योंकि यह नगरी अब जलमग्न होने वाली है । सब लोग अपनी धन-संपत्ति कुटुंब और माता-पिता को लेकर इंद्रप्रस्थ चले जाएं । यह संदेश लेकर दारुक वहां से चला गया ।

दारू के चले जाने पर ब्रह्मा जी, पार्वती, लोकपाल, बड़े-बड़े ऋषि मुनि, यक्ष, राक्षस, ब्राह्मण आदि सभी आए और उन्होंने श्री कृष्ण की आराधना की । सभी भक्ति से पुष्पों की वर्षा कर रहे थे । श्री कृष्ण जी ने अपने विभूति स्वरूप देवताओं को देखकर अपने आत्मा को शुरू में स्थित किया और कमल के समान नेत्र बंद कर लिए ।

दोस्तों, श्रीमद् भागवत के अनुसार जब श्री कृष्ण और बलराम की स्वधाम जाने की सूचना उनके परिजनों तक पहुंची , तो उन्होंने भी इस दुख से प्राण त्याग दिए । देवकी, रोहिणी, वासुदेव, बलराम की पत्नियां, श्री कृष्ण की रानीयां आदि सभी ने शरीर त्याग दिए ।

जरा कौन था ?

जरा और कोई नहीं वानर राज बाली ही था । भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु राम ने त्रेता युग में बाली को छुपकर तीर मारा था। कृष्ण अवतार के समय भगवान ने उसी बाली को जरा नामक बहेलिया बनाया और अपने लिए वैसे ही मृत्यु चुनी जैसी बाली को दी थी ।

श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद क्या हुआ ? Shri Krishna Ki Mrityu Ke Baad Kya Hua

बलराम जी और श्री कृष्ण के मृत्यु के बाद अर्जुन द्वारका पहुंचे थे । वहां पहुंचकर स्वयं मंत्रियों से बोले कि मैं वृष्णि और अंधक वंश के लोगों को अपने साथ इंद्रप्रस्थ ले जाऊंगा, क्योंकि समुद्र अब इस सारे नगर को डुबो देगा।

इसके बाद अर्जुन ने यदुवंशी के निमित्त पिंडदान और श्राद्ध आदि संस्कार किए । इन संस्कारों के बाद यदुवंश के बचे हुए लोगों को लेकर अर्जुन इंद्रप्रस्थ लौट आए ।

इसके बाद द्वारिका समुद्र में डूब गई । श्री कृष्ण के स्वधाम लौटने की सूचना पाकर सभी पांडवों ने स्वर्ग की ओर यात्रा प्रारंभ कर दी । इस यात्रा में ही एक-एक करके पांडव भी शरीर का त्याग करते गए । सिर्फ और सिर्फ युधिष्ठिर अकेले बक्ति थे जो स्वर्ग पौछे थे।

अंत में

तो दोस्तों यह था कृष्ण की मृत्यु का रहस्य और श्री कृष्ण सहित पूरा यदुवंश कैसे नष्ट होने का कारण । आपको हमारी यह लेख कैसी लगी । इसके बारे में अपनी राय लिखकर भेजें । आप इस लेख के कमेंट सेक्शन में लिख सकते हैं ।

दोस्तों इस लेख को लाइक कीजिए और अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिये । अगर आपको पसंद आया है तो, हमारे इस वेबसाइट को बुकमार्क कर लीजिए । जिससे कि आपको इसी तरह के रोचक लेख पढ़ने को मिलते रहेंगे ।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न :

प्रश्न : श्री कृष्ण का वध किसने किया था ?

श्री कृष्ण का वध जरा ने किया था। जरा एक शिकारी था।

प्रश्न : भगवान श्री कृष्ण धरती पर कितने साल रहे?

भगवान श्री कृष्ण धरती पर 125 साल रहे।

प्रश्न : भगवान कृष्ण के उत्तराधिकारी कौन थे?

भगवान कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ बचे थे। क्योंकि उनकी माता को वरदान प्राप्त था कि तुम्हारे पुत्र के ऊपर कोई श्राप असर नहीं करेगा।

प्रश्न : भगवान कृष्ण के बाद उनके वंश को किसने चलाया?

वज्रनाभ द्वारिका के अंतिम शासक थे जिन्होंने एक सप्ताह से भी कम द्वारिका मे राज किया।

यह भी पढ़ें :

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here